जय गुरुदेव
दुर्योधन का नाम सुयोधन था,कहता था की वह सब कुछ जानता है, पर उसकी धर्म कर्म तथा सतकर्म में कोई रूचि नहीं होती थी ठीक उसी प्रकार जैसे हम चाय के गुण धर्म जानते हुए भी चाय पीते हैं उसी प्रकार धृतराष्ट्र ,दुर्योधन के पिता भी ऐसे ही थे ,गुरुवाणी से सुनेंगे तो ज्यादा आनंद आएगा स्वागत। ....
(साभार संस्कार टी वी )
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